Kuch Aisi Deewali Mana Rahe Hain II कुछ ऐसी दीवाली मना रहे हैं
आजकल हम कुछ ऐसी दीवाली मना रहे हैं
दीप की जगह बिजली वाले बत्ती जला रहे हैं
एक दौर था हमारा घर पर फूल बत्ती बनाते
घर में खिले फूलों को गूँथ गूँथ माला सजाते
हर एक कमरे की साफ़ सफाई की खातिर
बस दो गंदे कपडे लिए छज्जे पर चढ़ जाते
अब तो साफ़ करने वाले मशीने लगा रहे हैं
आजकल हम कुछ ऐसी दीवाली मना रहे हैं
बाबूजी के संग हाट जाने का अलग उत्साह
घोड़े हाथी शेर वाली मिठाई की अलग चाह
बाजार भरे होते खील बताशे चर्खीपटाखे से
अब तो सारा सामान ऑनलाइन मंगा रहे हैं
आजकल हम कुछ ऐसी दीवाली मना रहे हैं
थोड़ी आमदनी की तंगी तो तब हुआ करती
मगर फिर भी हंसी ख़ुशी पूरा घर नाप जाते
सारा दिन लड़तेझगड़ते हँसते खिलखिलाते
कोई फैशन कोई ब्रांड की जरूरत नहीं थी
दादाजी थानके कपडे सभी के लिए ले आते
सारे भाईबहन के एक जैसे कपडे सिलवाते
और हमसब तो उसी में खूब इठलाया करते
अब दीवाली फैशन स्पेशल कपडे आ रहे हैं
आजकल हम कुछ ऐसी दीवाली मना रहे हैं
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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