School Ke Din II स्कूल के दिन
आज उन गलियों से गुजरे तो याद आया ,
कभी उन गलियों में मेरा आना जाना था
आज इस बात को सालों साल गुजर गये ,
मगर क्या सुनायें ,वो भी क्या जमाना था
स्कूल के वो दिन ,वो अल्हड़पन ,वो भोलापन ,
हर दिन एक नयी कहानी ,एक नया फ़साना था
आज उन गलियों से गुजरे तो याद आया ,
कभी उन गलियों में मेरा आना जाना था
वो उछलना रुक जाना और फिर से,उछलना
बेवजह ही पत्थरों को ठोकर मार खुश हो जाना
स्कूल के वो चुलबुले दोस्त ,वो भी क्या याराना था
आज उन गलियों से गुजरे तो याद आया ,
कभी उन गलियों में मेरा आना जाना था
वो हलकी सी बारिश होने पर भी रैनी डे की छुट्टी
स्कूल ना जाने का एक खूबसूरत बहाना था
स्कूल में मॉनीटर घोषित होना
खुद को तानाशाह बनाना था
आज उन गलियों से गुजरे तो याद आया ,
कभी उन गलियों में मेरा आना जाना था
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
NiCe Poem
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