Bachpan Ki Wo Nav || बचपन की वो नाव

 


बचपन की वो नाव तो हर किसी ने जरूर बनायीं होगी ,

रफ कापियों के पन्ने फाडे होंगे ,अख़बारों को बिटोरा होगा, 

अपनी गली के गलियारों में ,अपने घर के आँगन में ,

जब भी बारिश का पानी भर जाता होगा ,

हर किसी ने कागज की कश्ती बहाई होगी। 

कोई टिकट नहीं कोई किराया नहीं होगा इसका, 

फिर भी मेरी नाव दूसरे से आगे जाये , ये होड़ लगायी होगी। 

ना सवारी की होगी न ही किसी को इस पर बिठाया होगा ,

फिर भी इसे पानी में डूबने से जरूर बचायी होगी। 

धन्यवाद्  

सुनीता श्रीवास्तवा 

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