Ghar Men Tyohar Aata Hai || घर में त्यौहार आता है

 


जब भी कोई घर में त्यौहार आता है 

अंतर्मन हर्षोउल्लास से भर जाता है 

शहर से बच्चे अपने गाँव को आएंगे 

सुने पड़े घरौंदे में कौतुहल मचाएंगे 

बाबूजी संग काम काज भी कराएँगे 

साँझ पहर तक यदि थक गए चलते 

आँगन में फिर से खाट वो बिछाएंगे 

कितनी रौनक होगी,हलचल रहेगा 

यही सोच मेरा जी मुग्ध हो जाता है

जब भी कोई घर में त्यौहार आता है 

अंतर्मन हर्षोउल्लास से भर जाता है  

तीन चार दिन हल्ला गुल्ला मचाते हैं 

अम्मा ये भी बना दो वो भी बना दो 

पुरे दिन बस यही सब रट लगाते हैं

कैरम शतरंज की गोटियां बिखरतीं 

लगता है आलय का हर कोना जैसे 

बातचीत करते हैं ,ठहाका लगाते हैं

दीवाली हो होली हो ईद या बैसाखी 

भवन का रूप अलग नजर आता है 

जब भी कोई घर में त्यौहार आता है 

अंतर्मन हर्षोउल्लास से भर जाता है  

केवल चन्द दिन की ये रौशनी रहेगी

कुछ ही पल की ये सारी ख़ुशी रहेगी 

पर्व ख़तम हुआ नहीं तैयारियां  शुरू  

कोई कल जायेगा कोई दो दिन बाद 

एक दो दिन में ही बक्सा पेटी बंधेगी 

गाँव से फिर शहर वापसी कासमय  

कुछ ही दिन बाद सदन फिर खाली 

सोचने से ही चित्त मेरा घबरा जाता है 

जब भी कोई घर में त्यौहार आता है 

अंतर्मन हर्षोउल्लास से भर जाता है

 मगर सबका जाना जरूरी भी तो है 

अगले ही पल ऐसा ख्याल भी आता है 

चलो ठीक है ,सब रहें कुशल मंगल 

पढ़े लिखें आगे बढ़ें, होते रहें सफल 

माँ के जी सेआशीष निकल आता है 

जब भी कोई घर में त्यौहार आता है 

अंतर्मन हर्षोउल्लास से भर जाता है

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 


नोट- ये कविता एक माँ की मनः वेदना को लेकर लिखी गयी है ,जैसे किसी भी त्यौहार के आने पर माँ खुश हो जाती है कि सब बच्चे बाहर से घर आएंगे शोरशराबा होगा, और फिर उनके वापस जाने का सोच के थोड़ा उदास भी होती है ,मगर फिर अपने मन को समझा सबको दिल से आशीर्वाद देती है ,उम्मीद है आपको मेरी ये रचना पसंद आएगी। 



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