Wo Hai Koyal || वो है कोयल

 


आज मैंने सुना एक अलग सुर का गाना 

ना कोई सितार था ना कोई हारमोनियम 

फिर भी स्वरों में अद्भुत अप्रतिम संयम 

कभी हवाओं में कभी पत्तों के झरोखों से 

रसभरी ध्वनि  गूंज रही थी कोने कोने से 

उस के मधुर संगीत में कोई बोल नहीं थे 

न ही कोई शब्द उसकी मीठी गायकी में 

फिर भी एक एक सुर ह्रदय को मोह रहे 

जी करता कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं 

वो गाती रहे यूँ ही मस्त मगन सुनते जाएँ 

पेड़ों के ओट से आती उसकी छनन छन

रंग रूप तो उसका बिलकुल ही है काला 

कण्ठ मिला सम्पूर्ण जग में सबसे निराला 

कभी इधर से उधर उड़ उड़ के जाती है 

कहीं आम की शाखाओं में छुप जाती है 

प्यारी चिड़िया रानी फुदकती हुई आती

सुन्दर संगीत सुना सबका मन बहलाती 

अपने गीत से फ़िजा में मचाये कोलाहल 

आखिर है वो कौन जिसकी है ये निनाद    

वो है कोयल जिसने छेड़ा है सुर सरगम 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 





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