Badal Jati Hain Wo Betiyan || बदल जाती हैं वो बेटियां

 


ससुराल से घर मायके जब आती हैं बेटियां 

क्या कहूं कितनी बदल जाती हैं वो बेटियां 

सिंदूरी रंग में दमकता हुआ चेहरा उसका 

चूड़ियों की खन खन में सजते हाथ उसके 

माथे पे चमकती छोटी सी बिंदिया उसकी 

काजल से सजी हुई उसकी भोली अँखियाँ 

क्या कहूं कितनी बदल जाती हैं वो बेटियां 

कल तक केवल थी वो मायके की दुलारी 

इधर उधर उछलती एक कन्या सुकुमारी 

चल पड़ी नयी राह पर नए रिश्तों से बंधी

संभालती हुई दो परिवारों की जिम्मेदारी 

कल की नाबूझ नटखट बुद्धू सी गुड़िया  

आज सिखा जाती हमें बड़ी बड़ी बतियाँ 

क्या कहूं कितनी बदल जाती हैं वो बेटियां 

नए प्रतिबंधों में खुद को संजोना उसका 

नवीन संबंधों में खुद का पिरोना उसका 

एक घर से दूजे घर को अपनाना उसका  

अंतर्मन में भावनाओं का छिपाना उसका

दो कुलों का मान सम्मान बचाना उसका

नव जीवन की नवीन परंपरावों से सजी 

नए घर में एक नया किरदार निभाती हुई 

नित नए रीती रिवाजों की बंधी हुई बेड़ियाँ 

क्या कहूं कितनी बदल जाती हैं वो बेटियां 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 






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