Log Patra Likha Kerte The || लोग पत्र लिखा करते थे


एक जमाना था लोग पत्र लिखा करते थे 

मन की बातों को पन्ने पर उतारा करते 

जब दिल करे डाकघर चले जाया करते 

कभी नीला कागज तो कभी पीला कार्ड 

भावनाएं ज्यादा हों तो लिफाफा ले आते 

पन्ने के सबसे ऊपर दुआ कुशलता की 

सबसे नीचे बड़ों को सादर चरण स्पर्श 

इन दोनों के बीच होता बाप का  संघर्ष  

मां के मन की पीर भी लिख जाया करते 

चाचा की शादी ,भाई की पढ़ाई लिखाई 

दादी की बीमारी ,दादा की खैर खैरियत 

खेत खलिहान का बखान, बाग़ बगवानी 

स्कूल की परीक्षा के अच्छे बुरे परिणाम 

छोटे की आने की खबर माँ को हंसाती 

बड़े की स्मृति बाबा को दुःखी कर जाती

जाने कितनी ही संवेदना मुस्कान करुणा    

खाली पन्ने में समाहित हो जाया करते थे 

कितना सब्र होता , तब सबकी आँखों में 

उस एक पन्ने का हफ़्तों बाट निहारा करते 

फिर भी कभी उफ़ तक नहीं किया करते 

एक आज का समय है एक छोटा सा फोन 

उसपर पुरे दिन उँगलियाँ फिराया करते हैं 

न दुआ न सलाम,सब  हाय बाय के गुलाम 

सारे रिश्ते नाते सम्बन्धी होने लगे खोखले 

जिसको बरसों बरसों लग जाते हैं बनाने में 

बस एक टच,दो पल में भूल जाया करते 

एक जमाना था लोग पत्र लिखा करते थे

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 
























कोई टिप्पणी नहीं

Thanks For Reading This Post