Do Tarah Se Taulte Hain || दो तरह से तौलते हैं

 


अपने बच्चे ही दो तरह से तौलते हैं 

मां दिखती है नरम दिल ममतामयी 

पिताजी को गरम मिजाज बोलते हैं 

माँ में गर दिखती है खुदा की सूरत 

पिता की है  कुछ अलग अहमियत  

ऐसा लगता है की मां जन्नत जहाँ है 

जो ना दिखे तो पूछते हैं मां कहाँ है 

उसके बिना तो घर आँगन सूना है 

किन्तु पिता तो लगते हैं बड़े कठोर  

तनिक घूर के आँख भर दिखा दिया 

कहते हैं पापा तो बहुत मचाते शोर 

सच पूछो तो दोनों ही होते अनमोल 

बच्चों को शायद समझ नहीं आता 

माना मां नौ महीने का दर्द झेलती  

तो पिता भी बाहर की थपेड़ें खाता

मां जो अंदर की बातें बताती है तो 

पिता बाहर की दुनिया है समझाता 

इतनी सी बात बस कुछ और नहीं 

जाने क्यों इस तरह से नहीं सोचते हैं 

अपने बच्चे ही दो तरह से तौलते हैं 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 


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