Pita Se Baat || पिता से बात

 


कभी पिता से भी बात कर लिया करो 

फिक्र बहुत किया करते हैं वो तुम्हारी 

ये सच है तुमसे कभी कुछ कहते नहीं 

मां की तरह कभी वो लाड जताते नहीं 

तुम्हें तो यही लगता है वो बस रोबीले हैं 

तुम क्या जानो अंतर्मन में तुम्हीं बसे हो 

तुम जब बाहर से घर में आया करते हो 

दौड़ के अम्मा से लिपट जाया करते हो

कभी पिता के साथ भी बैठ जाया करो 

कभी पिता से भी बात कर लिया करो 

तुम शायद इस बात को नहीं समझते 

उनको भी उतनी ही परवाह है तुम्हारी 

ये अदृश्य स्नेह तुम्ही समझ जाया करो 

कभी पिता से भी बात कर लिया करो 

कभी जो आँखों से ओझल हो जाते हो 

किसी कारन जो तुम दूर चले जाते हो 

तुम्हें पता भी नहीं कितना करते याद

सामने से कठोर दिल बाबूजी तुम्हारे 

हर घडी करते एक खामोश फरियाद 

मां की तरह पल पल टोका नहीं करते 

मगर अम्मा से वो पूछते जरूर रहते हैं 

वो ठीक तो है , दिक्कत तो नहीं उसको 

यूँ अम्मा से तो घंटों बातें किया करते हो 

पिता से भी उनकी खैर पूछ लिया करो 

कभी पिता से भी बात कर लिया करो 


धन्यवाद् 
सुनीता श्रीवास्तवा 

नोट -आज मैंने अपने अंकल के घर में एक चीज़ देखी। 
मेरे चचेरे भाई बाहर रहते हैं और वो अपनी मां से तो खूब बात करते हैं और उनसे पूछ भर लेते हैं ,पापा ठीक हैं? ,उनसे  बात कर हाल चाल नहीं पूछते ,चाचा जी इस चीज़ को बहुत फील करते हैं ,आज चाची ने बोला , कभी कभी पापा से भी बात कर हाल चाल ले लिया करो ,मैं थोड़ी भावुक हो गयी और उनकी ये बात सुन कर मैंने ये कविता लिखी ,,,,

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