Pahle Wali Holi Fir Se Nanin Aati || पहले वाली होली फिर से नहीं आती
बसंत पंचमी से ही हल्ला हुड़दंग शुरू हो जाता
रंग अबीर ला दो दादा चिल्लम चिल्ली मच जाता
वो ऊपर नीचे दौड़ दौड़ के दादी तूफ़ान मचाती
भिन्न भिन्न तरह के पापड़ तिलौरी नमकीन बनाती
जाने क्यों वो पहले वाली होली फिर से नहीं आती
होली केचार दिन पहले से ही मौज मस्ती में रहना
कुछ भी ना मिले तो पानी से ही सराबोर हो जाना
कोई इधर से डांटता ,कोई उधर से आँख दिखाता
खूब धमाल चौकड़ी मचाते चाहे जो कुछ हो जाता
शुगर की कोई चिंता नहीं अम्मा ढेरों गुज़िए बनाती
जाने क्यों वो पहले वाली होली फिर से नहीं आती
आजकल तो आदमी जन को जाने क्या हो गया है
प्यार के रंगो वाला त्यौहार ना जाने कहाँ खो गया है
भई अब होली का तो पूरा मतलब ही बदल गया है
लड़ाई झगडे दंगे मदिरा पान यही सब रह गया है
लाल पीले गुलाबी रंगों में छल प्रपंच ही भर गया है
होली तो है बस प्यार का हर्षोउल्लास का त्यौहार
एक दूजे से मिलने मिलाने,गले लगाने का त्यौहार
इतने छोटी बात लोगों को क्यों समझ नहीं आती
जाने क्यों वो पहले वाली होली फिर से नहीं आती
धन्यवाद्सुनीता श्रीवास्तवा
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