Mere Kadam Abhi Bhi Wahin Khade Hain || मेरे कदम अभी भी वहीँ खड़े हैं


 

मेरे कदम अभी भी वहीँ खड़े हैं 

जहाँ से तुम मुझे छोड़ कर गए थे ,

और पलट कर देखा तक नहीं था 

दिल मजबूर सोचता है कि कभी ,

तुम्हें मेरे लिए कुछ जो हो एहसास, 

उस दिन तुम मुझे ढूंढते हुए उसी ,

मोड़ पर एक दिन जरूर आवोगे 

फिर कभी कभी जाने क्यों होता ,

ऐसा आभास ,कि पीछे मूड जावूं 

वापस अपने घर फिर चली जावूं 

नैना फिर भी बेचैन हैं तुम्हारे लिए 

पग मुड़ते हैं फिर ठहर से जाते हैं 

दिल कहता है ,तुम्हें आवाज लगावूं 

कहता है ,एक बार पुकारूँ तुम्हें 

तुम्हें भी तो होगा इन्तजार मेरा 

नींद तो तुम्हें भी नहीं आती होगी 

तकलीफ तो तुम्हें भी होती ही होगी

किसी दिन तुम मुझे पुकार ही लो 

या फिर पलट कर मुझे संभाल लो 

बस यही सब सोच के निगाहें समेटे, 

हुए उसी जगह पर वैसे ही जड़े हैं 

मेरे कदम अभी भी वहीँ खड़े हैं 



धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 



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