Lal Lal Tamater Sa Wo Suraj || लाल लाल टमाटर सा वो सूरज
लाल लाल टमाटर सा वो सुबह का सूरज
कौन रख जाता है नीले गगन की थाल में
पेड़ों की आड़ में ,तो कहीं हरी पत्तियों में
जैसे इतरा रहा हो, नखरे दिखा रहा हो
ऐसा लगता है ,बस कूद जावूं आसमान में
पकड़ के तोड़ लावूं,उसे किसी भी हाल में
तभी चिड़ियों की एक टोली वहां आती है
ना जाने क्या उसके कान में कह जाती है
काश मैं भी एक परिन्दा होता ,उड़ जाता
सुबह के सूंदर सूरज से जा बातें कर लेता
तभी याद आया ,दूर से ही निहार लूँ उसे
उसकी इस खूबसूरती को यहीं से ताड़ लूँ
सभी लोग लगे हुए हैं अपने-अपने काम पर
कुछ अपने काम काज को भी संवार लूँ मैं
जो हो ही नहीं सकता संभव मेरे लिए कभी
पड़ा हूँ आखिर मैं भी क्यों उस बवाल में
लाल लाल टमाटर सा वो सुबह का सूरज
कौन रख जाता है नीले गगन की थाल में
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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