Bin Bole Mere Ehsaas || बिन बोले मेरे अहसास


 

जो तुम समझ जाते बिन बोले मेरे अहसास 

वक्त हो तो जरा सा बैठ भी जाते मेरे पास 

कितनी करुणा भरी हुई है अंतर्मन में मेरे 

इतनी उलझी भी नहीं ,बहुत आसान हूँ मैं  

कोई गैर नहीं,परायी नहीं, तुम्हारी मां हूँ मैं  

जब तुम छोटे थे, बोलना भी नहीं जानते थे 

कुछ चाहिए इसके लिए मौन शोर मचाते 

हर तरह के अठखेलियां -शैतानियां करते 

तुम्हारा मौन और शोर समझ आता मुझे 

बिन बोले तुम सब कुछ पा जाया करते थे 

तुम चार भाई थे ,मगर मैं सबके लिए एक 

वो बचपना अच्छा लगता था तुम सबका 

जब तुम सभी के लिए मैं थी बहुत खास

अब तो अपने अपने पैरों पर चलने लगे हो 

बड़े भी हो गए हो,एक दूजे से जलने लगे हो 

सब अपने अपने आनंद में ही रहने लगे हो

सब अपने हिसाब से दुनिया समझने लगे 

मेरी बातें तो अब तुम्हें समझ नहीं आतीं हैं  

क्यों मेरी परेशानी तुम्हें नजर आती नहीं है 

मैंने कभी तुम्हें बंटवारा तो सिखाया नहीं 

फिर तुम क्यों ना देते एक दूजे का साथ 

क्यों एक माँ को चार हिस्सों में दिया बाँट 

हृदय चीर कर बताती गर बैठते मेरे पास 

जो तुम पूछते ,आखिर क्यों हो तुम उदास  

जो तुम समझ जाते बिन बोले मेरे अहसास 



धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तव 




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