Bahar Ki Duniya Men Aaya Karo || बाहर की दुनिया में आया करो


 

इतना ना संभल संभल  के रहा करो 

कभी बाहर की दुनिया में आया करो 

देखो मौसम भी कितना बदल रहा है    

कभी बारिशों में भी भींग जाया करो 

कुछ काम करने दो अपने होठों को 

बात बिनाबात भी मुस्कुरा दिया करो 

चाँद कभी खुद जमीन पर नहीं आता 

अपने हुनर से चमक दिखाया  करो 

दुःख और दर्द तो आते जाते रहते हैं 

यूँ बात बात पर आंसूं ना बहाया करो 

जीवन हैं तो उतार चढ़ाव भी आएंगे 

हर बात पर किस्से ना सुनाया करो 

सूरज रोज निकलता है, डूब जाता है

धुप  के बहाने टेरिस पर जाया  करो

लोगों से मिलो ,बातें करते रहा करो

दिल भी मिल ही जायेंगे ,अगर चाहो 

तुम अपना हाथ तो आगे बढ़ाया करो 

इतना ना संभल संभल  के रहा करो 

कभी बाहर की दुनिया में आया करो 

धन्यवाद् 
सुनीता श्रीवास्तवा 

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