Ladki Bikti Hai Badnaam Ho Jati Hai II लड़की बिकती है ,बदनाम हो जाती है
एक लड़की बिकती है ,बदनाम हो जाती है
दूसरी लड़कियों से बहुत अलग हो जाती है
कुछ अलग सा उसे नाम भी दिया जाता है
कोई वैश्या ,कोई तवायफ़ कोई मुजरे वाली
कोई कहता इससे रंगीन शाम हो जाती है
एक लड़की बिकती है ,बदनाम हो जाती है
अलग उनका मोहल्ला,अलग समाज होता
उनकी कला की कोई इज्ज़त नहीं होती है
उनके हुनर का कहीं कोई नाम नहीं होता
उनकी जिंदगी बस यूँ ही ख़तम हो जाती है
सिर्फ बुरी लड़कियों में पहचान हो जाती है
एक लड़की बिकती है ,बदनाम हो जाती है
बेचने वाले भी इज्जत से समाज में रहते हैं
वो भी एक इंसान होते हैं कोई समझा नहीं
उनका तन बिक जाता है मन नहीं बिकता
इस बात को किसी ने कभी सोचा ही नहीं
उसके भी कुछ सपने ,कुछ अरमान होते
मौका दो तो वो भी खुले आसमान में उड़ते
उसे नोचने वाले बेचने वाले तो बहुत मिलेंगे
उसका तन ढकने वाला कोई नहीं मिलता
तवायफ की गली से सीधे शमशान ही जाती है
एक लड़की बिकती है ,बदनाम हो जाती है
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