Beti Hui Hai Beti II बेटी हुई है बेटी


 जब मैं पैदा हुई अम्मा फुट फुट कर रोई 

सबने कहा करमजली है,बेटी हुई है बेटी

किसी के चेहरे पर कोई उल्लास नहीं था 

सबने अम्मा को जी भर के ताने  दे डाले 

दादी ने अलग मुहं बनाया दादा ने अलग 

किसी ने नहीं पुछा तुम कैसी हो बहुरानी 

बचपन से मैं यही सुनती आ रही हूँ सबसे 

तू पोती नहीं है हमारी,पनौती है पनौती

अम्मा ने बताया था , कैसे मुझे संभाला था 

किसी ने साथ नहीं दिया, अकेले पाला था 

बहुत संघर्ष किया ,दिन-रात एक कर दिया 

इतना आसान भी नहीं था मुझे आगे बढ़ाना   

सबसे लड़ झगड़ के यूँ मुझे काबिल बनाना 

अम्मा ने कहा,मैं थी उनके लिए बड़ी चुनौती 

आज मैं पढ़ लिख भी गयी,बड़ी भी हो गयी हूँ 

मेहनत के बल,अपने पैरों पर खड़ी हो गयी हूँ 

आज मैं एक बड़ी डॉक्टर हूँ और दादी बीमार

तीन दिन से बेहोश हैं और मैं कर रही इलाज 

अब दादी तो ठीक है,पर अजीब सी हुई बात 

आज पहली बारआँख खुलते ही दादी ने बोला

बेटा तू पनौती नहीं मेरी प्यारी पोती है पोती


सन्देश -इस कविता में मैंने ये बताने की कोशिश की है कि ,बेटियां बेटों से कम नहीं होतीं। 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 




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