bus yun hi main apni masti men rahti hun II बस यूँ ही मैं अपनी मस्ती में रहती हूँ
अपने दिल की बात दिल ही में रखती हूँ
बस यूँ ही मैं अपनी मस्ती में रहती हूँ
किसी की बात बुरी नहीं लगती है अब
कोई कुछ कहता है तो बस सुन लेती हूँ
बस यूँ ही मैं अपनी मस्ती में रहती हूँ
शिकवा नहीं कोई शिकायत भी नहीं ,
जो भी मिले जीवन में सब में खुश हूँ
जो भी चल रहा है सब अच्छा ही है
बस यही सोच के अब मैं खुश रहती हूँ
किसी से लड़ाई नहीं ,किसी की खिंचाई नहीं
कोई नखरे भी नहीं ,कोई शौक भी नहीं
कल हो न हो क्या पता ,हम रहें न रहें
आज का दिन ,ये पल ही बस अपना है
कभी बिना बात के भी हंसती रहती हूँ
बस यूँ ही मैं अपनी मस्ती में रहती हूँ
धन्यवाद
सुनीता श्रीवास्तवा
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