aaj main kiske ghar khawoon II आज मैं किसके घर खावूं
आज मैं किसके घर खावूं ,माँ राह तकती है
चार बेटे जन्मे ,खूब पढ़ाया ,काबिल बनाया
अपने पैरों पर सम्मान से चलना भी सिखाया
छोटे थे तो ,मेरी माँ -मेरी माँ कह के लड़ा करते
अब तो सुबह छोटे की माँ,शाम मझले की माँ
कभी इसके घर ,कभी उसके घर रोटी पकती है
आज मैं किसके घर खावूं ,माँ राह तकती है
पैसे कम थे ,मैंने और पापा ने खूब मेहनत करी
लेकिन हर मुमकिन ख्वाहिशें सबकी पूरी की
कभी नहीं सोचा ,एक बेटा दूसरे से कम है
सुबह छोटे को रोटी दूंगी ,रात को बड़े को
कभी भूले से भी मन में ये ख्याल नहीं आया
सब बराबर थे मेरे लिए ,सबको एक जैसा संभाला
एक जैसा प्यार दिया चारों बेटों को,एक अकेली मां ने
आज बच्चे बड़े गए ,बड़े बड़े बिज़नेस संभाल रहे
सबके पास पैसे हैं ,पर बूढी माँ नहीं संभाल पा रहे
आज बेटों ने एक मां को चार हिस्सों में बाँट दिया
ये सोच सोच कर एक मां अब सुबकती रहती है
आज मैं किसके घर खावूं ,माँ राह तकती है
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