कभी कभी खुद को भी संभाला करो II Kabhi Kabhi Khud Ko Bhi Sambhala Karo
हे नारी तुम सब कुछ संभालती हो ,
कभी कभी खुद को भी संभाला करो
जब तुम सुबह सवेरे जल्दी उठ जाती हो
सासु माँ की चाय ,बच्चों का टिफिन
पति के टाई और घडी का ख्याल होता
ससुर जी की दवा ,नाश्ता का समय
इन सब में जाने कब ठंडी हो गयी
तुम्हारे हिस्से की बनी चाय कॉफी
कोई नहीं बोलेगा गरम चाय पी लो
तो खुद से ही पीने की आदत डाला करो
ना तुम अबला हो ,ना तुम अकेली हो
लोग तुम्हें रोकेंगे ,हर बात पर टोकेंगे
क्योंकि तुम एक नारी हो ,नासमझ भी कहेंगे
पर तुम कभी कमजोर मत पड़ना
तुम हिम्मत से आगे भी बढ़ जाओगी
सारी चुनौतियों को पार कर जाओगी
अपने कदम बाहर तो निकाला करो
हे नारी तुम सब कुछ संभालती हो
कभी कभी खुद को भी संभाला करो
धन्वाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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