Abhimaan Kis Baat Ka II अभिमान किस बात का

 

एक छोटी सी जिंदगी है हमारी ,

उसकी भी डोर किसी और के हाथ में 

फिर जानेअभिमान किस बात का है 

वो चाहे जिसओर घुमाये ,जैसे तैसे हमें नचाये 

हम तो बस कठपुतली हैं उसके 

फिर जाने गुमान किस बात का है 

कभी कुछ भी नहीं है अपने बस में 

उसकी मर्जी तो बस वो ही जाने 

उसकी बंशी ,उसकी तान,बाकी सारे हैअज्ञान  

उसकी मर्जी से सूखा पड़ जाये 

वो चाहे तो दरिया समंदर बन जाये 

फिर जाने झूटी शान किस बात का है 

उसकी मर्जी से है जीवन मिलता 

उसके हाथों में हैं हर साँस हमारी 

वो ही लिखता है कहानिया सबकी 

न कुछ ले केआये, ना कुछ ले के जाना 

तो फिर हमी हम हैं ,सब कुछ है मेरा 

ये मिथ्या ज्ञान किस बात का है??


धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 


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