Dil Nahin Kerta II दिल नहीं करता





अब सजने सवरने का दिल नहीं करता ,

नए कपडे पहनने का दिल नहीं करता ,

वो जब से मेरी गलियां छोड़ के गया ,

कहीं आने जाने का  दिल नहीं करता, 

उसके रूप से दिल में एक ख़ुशी थी,

उसकी आहट में एक कशिश सी थी, 

अब मेरा रूप भी मुझसे रूठ गया है, 

उसकी नजरों को ढूंढती हैं मेरी नजरें, 

वो जब से निगाहों से दूर हुआ मेरे ,

बस मुस्कुराने का दिल नहीं करता, 

वो था तो मैं बाहर भी जाया करती थी, 

उसकी बस एक झलक के लिए मैं,

औरों से भी बातें कर लिया करती थी 

उसकी बातें जब से ख़तम हो गयीं, 

नखरे दिखाने का दिल नहीं करता 

अब सजने सवरने का दिल नहीं करता


धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 





कोई टिप्पणी नहीं

Thanks For Reading This Post