Chahat To Bahut Thi || चाहत तो बहुत थी
चाहत तो बहुत थी आवाज़ लगा के रोक लूँ तुम्हें ,
पर क्या करती ,तुमने पलट के देखा ही नहीं ,
तुमने मेरा हाथ छोड़ा और आगे निकलते गए ,
सारे एहसास एक पल में बिखरते चले गए,
कैसी हलचल सी मची होगी मेरे जहन में ,
तुमने जाते जाते एक बार भी सोचा ही नहीं ,
कुछ तकलीफ थी सीने में ,एक दरिया आँखों में ,
एक आस थी कि तुम फिर से संभाल लोगे मुझे ,
कशमकश में थी दिल की धड़कन मेरी ,
मगर तुम चलते चलते बहुत दूर चले गए ,
धीरे धीरे मेरी आँखों से ओझल होते गए ,
जैसे हमारे बीच कभी कोई रिश्ता ही नहीं ,
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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