Pita Ka Dular II पिता का दुलार

 


कभी दिखाते नहीं ,कभी जताते नहीं ,कभी बोल के बताते नहीं ,

कभी हमें एहसास कराते नहीं ,कुछ अलग ही है उनका लाड़ दुलार ,

बाहर से सख्त ,भीतर से नरम ,उनकी आँखों में कभी देखा नहीं आंसू, 

पर हमें परेशान देख के ,बदल जाता है उनका पूरा व्यवहार। 

हमें फौलाद बनाने की कोशिश करते रहते हैं हमेशा ,

मां जैसे कभी पिघलते नहीं देखा हर बात में उनको ,

पर समझ आ जाता है ,करते हैं वो भी हमें मां जैसा प्यार। 

माँ हमें दुनिया में ले के आती है ,पर वो हमें दुनिया दिखाते  हैं, 

क्या बुरा ,क्या भला ,कब कहाँ जाना है सब समझाते हैं ,

सामने से भले ही शाबाशी ना दें ,दिल में दुआ हमेशा होती है, 

कुछ ऐसा अलग सा होता है हमारे पिता का दुलार।

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 




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