तुम एक लड़की हो II Tum Ek Ladki Ho
भला इतनी देर रात से तुम कहाँ से आ रही हो ,
सूरज ढलने को है फिर ये सज धज के कहाँ जा रही हो ,
अरे अपना आस्तित्व तुम क्यों नहीं समझती हो ?
क्यों ये भूल जाती हो कि तुम एक लड़की हो ?
बाहर का माहौल सही नहीं है, मवाली घूमते रहते हैं
आये दिन छेड़खानी के मामले मिलते रहते हैं ,
ओढ़नी ठीक रखा करो , जब बाहर निकलती हो ,
क्यों ये भूल जाती हो कि तुम एक लड़की हो ?
सुनो ज्यादा ऊँची आवाज़ में बातें ना किया करो
आँखों में थोड़ी सी तो शर्म हया भी रखा करो ,
थोड़ा धीरे धीरेऔर सलीके से चला फिरा करो ,
इतना ज्यादा क्यों कूदती फांदती उछलती हो ,
क्यों ये भूल जाती हो कि तुम एक लड़की हो ?
उसकी बराबरी मत किया करो ,वो लड़का है
तुम वो नहीं कर सकती , जो वो कर सकता है
ये तुम्हारा काम नहीं है ,छोड़ो तुम नहीं कर सकती हो
सुनीता श्रीवास्तवा
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