Fir Nayi Subah Aayi || फिर नयी सुबह आयी


सूरज ने फिर आँखें खोली ,

धुप निकल के आया  है ,

चिड़ियों ने गाया फिर सरगम ,

खोले अपने घर और आँगन

फूलों ने कहकहे लगाए,  बोला 

फिर नयी सुबह है आयी,

गली सड़क फिर लगे थिरकने ,

बस्ते लेकर फिर बालक दौड़े, 

नुक्कड़ की चाय फिर महकी ,

फिर से बही है पुरवाइ

पेपर वाला पेपर लाया ,

अम्मा ने फिर आँगन धोया ,

ताऊ ने बिस्तर से उठ कर 

फिर से ली है अंगड़ाई। 

दूध ले के ग्वाला आया ,

दादू ने फिर चाय बनवायी ,

सुबह सुबह की मस्त हवाएं ,

इधर उधर से शोर मचाएं ,

हरे भरे पत्ते लहराए  फिर 

इधर उधर फिर बिखरी शाखायें 

काले  घने घने रात की 

फिर से हो गयी बिदाई ,

मंदिर से भी घंटे की टन 

टन टन आवाज है आयी। 

तुम भी उठ जाओ अब सारे ,

क्योकि फिर सुबह है आयी। 

धन्यवाद 

सुनीता श्रीवास्तवा 

 



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