Pustaini Ghar || पुस्तैनी घर

ना जाने क्यों सब भाग रहें हैं बड़े शहर 

छोड़ के गावों का अपना पुस्तैनी धरोहर ,

बड़े कमरों की जगह ,छोटा छोटा फ्लैट, 

पीपल और नीम की झीमी झीमी हवाएं भूल गए . 

एयर कंडीशन में ले रहें हैं अपनी साँसें,

बड़े और हवादार घर हुए जा रहें हैं खंडहर। 

आम अमरुद के पेडों की जगह ,इंडोर प्लांट ने ले ली ,

खेतों बगीचों की जगह फार्म हाउस ने ले ली ,

अम्मा बाबूजी हमारे अब मॉम डैड हो गए ,

चरण स्पर्श ,प्रणाम हाय हेलो में बदल गए ,

गाय भैंस के मीठे दूध टोंड मिल्क बन गए ,

छोटे बाबा ,बड़े बाबा ना जाने कहाँ खो गए ,

 हमारे पुरखों के आँगन हुए जा रहे हैं जर्जर 

ना जाने क्यों सब भाग रहें हैं बड़े शहर. . 



धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा 


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