Mere Papa Aur Main || मेरे पापा और मैं



जब मैं छोटी बच्ची थी ,करती थीं बहुत बदमाशियां ,

जाने क्यों मेरे पापा उन्हें देखकर खुश हो जाया करते थे .

 मैं जब उचक उचक के ,बनाया  करती थी उनके बाल ,

ना जाने क्यों वो मुस्कुराते हुए तैयार हो जाया करते थे। 

मैं पुरे दिन भी बक बक बक बक करती रहती थी,

तो वो सुनते रहते थे और ठहाके लगाया करते थे  . 

कभी वो गुस्से से डांट दें ,मैं बस कान पकड़ती ,

और वो माफी स्वीकार कर मान जाया करते थे। 

रात में जब सोने जाऊं ,परियों की कहानियां सुनाते ,

सुबह सबेरे गाड़ी में बिठा के स्कूल ले जाया करते थे। 

मैंने उनको नयी कमीज लेते नहीं देखा कभी ,

पर  हर त्यौहार पर मेरे लिए नयी फ्रॉक जरूर लाया करते थे। 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 




कोई टिप्पणी नहीं

Thanks For Reading This Post