Akelapan || अकेलापन
दिल में घबराहट, दुनिया अधूरी ,सीने में है सूनापन
जाने इतनी क्यों है बेचैनी ,जाने कैसा है ये खालीपन
मन भी बुझा बुझा सा है ,नींद खो गयी है नैनों की
सब दिख रहें हैं गैरों की तरह ,किसी से नहीं अपनापन
ना कुछ पाने की चाहत ,ना ऊँचा उड़ने की हसरत
ना कोई दोस्त ,ना कोई साथी ,ना कोई रिश्ते नाते
कुछ चुभता हो जैसे ,बस महसूस सा होता है
सच बात तो ये है,कोई समझ नहीं सकता मगर
बहुत तकलीफ देता है कभी कभी ये अकेलापन
धन्यवादसुनीता श्रीवास्तवा
कोई टिप्पणी नहीं
Thanks For Reading This Post