Ek Udasi Si Hai || एक उदासी सी है




जाने क्यों एक बेचैनी सी है ,एक उदासी सी है 

दिल में घबराहट  ,पसरा है ये कैसा सन्नाटा 

शोर बहुत है चारों तरफ ,फिर भी एक ख़ामोशी सी है 

ना नींद है आँखों में ,ना सुकून है जीने में 

होठों पे है मुस्कराहट ,पर दिल में मायूसी सी है 

भीड़ तो बहुत है आस पास ,कोई अपना नहीं 

कोई सच्चा नहीं लगता ,कोई साथी नहीं दिखता 

यूँ ही आँख भी डबडबा जाती है कभी कभी  

अजीब सा उन्माद उमड़ता रहता है सीने में 

दिल करता है बोल दूं दिल की बातें किसी को 

लोग बहुत हैं मेरे अपने ,पर फिर भी एकाकी सी है  



धन्यवाद 

सुनीता श्रीवास्तवा 


कोई टिप्पणी नहीं

Thanks For Reading This Post