Meri Kalam (कैसी है उलझने )
कैसी कसमकश है ये ,कैसी है उलझने
कभी रौशनी है जीवन में ,कभी अँधेरा
कभी है घनघोर रातें ,कभी खूबसूरत सबेरा
एक पल मन कहता है ,सब छोड़ के चले जाओ
एक पल को लगता है ,खूब मस्ती करो मौज मनाओ
कभी लगता है ,कुछ भी नहीं है ज़िंदगी में अब
कभी लगता है कितनी खूबसूरत है ये ज़िंदगी
कभी लाखों की भीड़ में भी तन्हाई लगे
कभी अचानक से कोई अपना बन जाता है
कुछ समझ नहीं आता कैसी हैं ये बंधने
कैसी कसमकश है ये ,कैसी है उलझने
सुनीता श्रीवास्तवा
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