Meri Tanhayiyan || मेरी तन्हाईयाँ
आज तो बारिशें भी रो रही हैं
आज आँधियों में भी शोर नहीं है
आज मैं हूँ और मेरी तन्हाईयाँ हैं
बस ज़िंदगी में कुछ और नहीं है
अंतःकरण में शब्द बहुत खेल रहे
मगर जुबां जाने क्यों खामोश है
मौन ही अच्छा लगता है अभी
कुछ भावना है वेदना से भरी
बादलों सा चलता है रुकता है
जैसे होता है कुछ ऐसा एहसास
खुशियों का कोई दौर नहीं है
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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