Meri Kalam (Neev Ki EENT)
नीव की वो ईंट ,जिसे कोई याद नहीं करता
जो भार उठाता है, खुबसूरत ईमारतों का
मगर फिर भी करता नहीं अभिमान कभी
है वज़ूद उसका ही सारा ,जानता है वो
बिना उसके बलिदान और कुर्बानी के
बनता कभी कोई घर आलिशान नहीं
फिर भी चुप रहता है वो ,सबसे नीचे दबता
अकेले अपने दर्द सहता ,शिकायत नहीं की किसी से
उसे पता है, मिलेगा नहीं उसे सम्मान कभी
जैसे है वैसे पड़ा रहता ,एक ही जैसे खड़ा रहता
निभाता है ताउम्र अपनी जिम्मेदारी ख़ुशी से
भले ही कोई याद करे उसका बलिदान नहीं
नीव की वो ईंट ,जिसे कोई याद नहीं करता
जो भार उठाता है खुबसूरत ईमारतों का
मगर फिर भी करता नहीं अभिमान कभी
धन्यवाद्
सुनीता श्रीवास्तवा
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