Meri Kalam (Dada Dadi)

 


उनकी ऊँगली थाम के बड़ी हूई मैं 

उनकी किस्से कहानियों ने नयी राह दिखाई 

उनके कंधो पर बैठकर बजाई थी मंदिर की घंटियाँ 

उनके गोद में बीता बचपन मेरा ,माँ की मार से बचाते थे जो 

 कोई और नहीं बाबा और ईया थे वो मेरे 

बाबा ने दिया गीता -रामायण का ज्ञान 

ईया ने खिलाये बना के मीठे मीठे पकवान 

धुप में जलकर ,पथरीले रास्तों पर चलकर 

हमें पाला  बड़े दुलार से ,बचाया हमेशा घने अन्धकार से 

हमरी गलती होने  पर भी औरों से लड़ जाते थे जो 

 कोई और नहीं बाबा और ईया थे वो मेरे 


 

धन्यवाद 


सुनीता   श्रीवास्तवा 


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