Pahle Log Ikathha Raha Kerte The II पहले लोग इकट्ठा रहा करते थे


कल की दीवाली अलग थी , आज की कुछ अलग

पहले लोग इकट्ठा रहा करते थे,एक दूसरे के साथ 

आज इकट्ठा होते हैं ,जब आती है त्योहारों की बात 

पहले सब मिल कर दिया बाती कर लिया करते थे 

छज्जों की सफाई भी बड़े उल्लास से हुआ करती

मिठाई पुए बच्चे उछल उछल कर खाया करते थे 

चकरी फूलझड़ी महुआ के लिए लड़ जाया करते 

फोन करना नहीं ,लोगों से गले मिलने का दसतूर 

छोटे बड़ों से पांव छू कर लिया करते थे आशीष 

जाने क्यों आज वही लोग हो गए एक दूसरे से दूर 

अब तो सब बच्चे बाहर नौकरी करने लग गए हैं 

नमस्ते नहीं "हाय हेलो " में बातें समझाने लग गए

एक दिन ही छुट्टी होती है उनकी परिवार के लिए  

दीवाली के बस एक दिन पहले आना हो पाता है 

कुछ शो पीस लगा के ,कुछ मोमबत्ती जला देते 

और पूरा दिन हैप्पी दीवाली बोलने में लग जाता 

दूसरे दिन वापस जाना और फिर घर से सन्नाटा 

पुराने लोग पुरानी बातें अब कहीं दिखती नहीं हैं 

सबके अंदर भरी हुई  केवल नकली आधुनिकता 

आज तो सारे रिश्ते नाते भी होने लगे हैं डगमग 

कल की दीवाली अलग थी ,आज की कुछ अलग



धन्यवाद् 
सुनीता श्रीवास्तवा 


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