Chhutpan Ki Wo Deewali II छुटपन की वो दीवाली


 

मुझे आज भी याद है छुटपन की वो दीवाली  

एक महीने पहले से सारी तैयारी करते रहते 

बेसब्री से रहता स्कूल की छुट्टी का इन्तजार

खेलते कूदते कर जाते घर की साफ सफाई

छुटकी छज्जे ऊपर चढ़ के सामान उतारती

बड़े भैया नीचे से पकड़ा करते सारा सामान 

पापा जाते बाजार, ढेर सारा पटाखा ले आते 

हम सब भाई बहन, उसे धुप में रख सुखाते  

पुरे दिन दौड़ दौड़ करते थे उनकी रखवाली 

मुझे आज भी याद है छुटपन की वो दीवाली 

दादी बनाती अपने हाथों से कपडे की बातियाँ 

मिटटी के छोटे-छोटे दिए भी खुद ही बनातीं 

दीवाली की शाम अम्मा पहनातीं नए कपडे 

उछलते कूदते हम भाई बहन घर को सजाते 

कभी छत पर ,तो कभी बाहर,दिए ले के जाते  

पुरे घर में हल्ला होता ,छायी रहती ख़ुशहाली 

मुझे आज भी याद है छुटपन की वो दीवाली 

दीवाली की सुबह पापा बनाते थे दिए का तराजू 

उसको ले हम सारे खूब फुदकते ,खूब इतराते 

पुरे दिन लड़ते झगड़ते,उछल कूद मचाते रहते 

दादा दादी भी हमें ढेर सारा लाड प्यार दिखाते 

फिर स्कूल खुला सबने अपनी कमान सम्भाली 

मुझे आज भी याद है छुटपन की वो दीवाली 




धन्यवाद् 
सुनीता श्रीवास्तवा 





  




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