Her Chees Kuch Naya Sikha Ke Jati Hai || हर चीज़ कुछ नया सिखा के जाती है
हर दिन कोई नयी बात ले के आती है
हर चीज़ कुछ नया सिखा के जाती है
याद करो जाड़ों की ओस वाली सुबह
बाहर निकलते अँधेरा ही अँधेरा दिखे
जैसे इससे आगे अब कुछ भी नहीं है
एक कदम भी आगे बढ़ नहीं सकते
थोड़ाआगे गए थोड़ी सी रौशनी मिली
थोड़ी उम्मीद जगी थोड़ी ख़ुशी मिली
और आगे बढे फिर से उजाला दिखा
रास्ते भी थोड़े थोड़े साफ़ दिखने लगे
बस फिर आगे यूँ ही चलते चले गए
चलते चलते आगे बढ़ते गए और फिर
सफर के आखिरी मोड़ पर पहुँच गए
बस जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है
गर रुक गए सामने अँधेरा देख कर
तो रौशनी कभी खुद से आती नहीं है
उस धुंध को चीर कर जो आगे बढे
नए मौके मिले ,नयी दुनिया भी मिली
जिंदगी खुद एक नया राह दिखाती है
हर चीज़ कुछ नया सिखा के जाती है
धन्यवाद
सुनीता श्रीवास्तवा
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