Wo Haseen Mulakaat II वो हसीन मुलाकात

मुझे आज भी याद है, वो हसीन  मुलाकात   

जब तुम  मिलने आये थे मुझसे पहली बार ,

दोनों एक दूजे से थे बिलकुल अनजान ,

मेरी नजरें झुकी हुई ,तुम्हारी नजरें  मुझ पे ,

मैंने तो अभी ठीक से तुम्हें देखा भी नहीं ,,

पर तुम्हारी नैनों में था एक छुपा इकरार। 

एक मोहब्बत जो तुम जताना चाहते थे ,

 एक एहसास जो तुम बताना चाहते थे ,

मैंने तो अभी ठीक से तुम्हें सुना भी नहीं ,

 फिर भी तुम्हें था, मुझपे एक छुपा एतबार। 

आज नहीं तो कल मेरी लब्जों को सुनेगी ,

आज नहीं समझी  पर कल जरूर समझेगी ,

 इस दिल की बात उस दिल तक पहुंचेगी ,

जब उसको कबूल होगा मेरे  दिल का प्यार। 

धन्यवाद् 

सुनीता श्रीवास्तवा 



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