Dil ka dard II दिल का दर्द
कुछ तो है जो तुम्हें कर रहा है बहुत परेशां ,
लोगों से मिलते तो जरूर हो मुस्कुराते हुए ,
मगर चेहरा दिल का दर्द बयां कर रहा है ,
तुम लाख छिपा लो हमसे दिल की बात ,
हम पढ़ ही लेते हैं तुम्हारे छिपे जज्बात,
लब्ज तुम्हारे कुछ और ही बोल रहे हैं ,
खामोश आँखें करती है कुछ और बात ,
तुम कहो न कहो हम तो सुन ही लेते हैं ,
कुछ तो हो जिसकी बैचेनी सी है तुम्हें ,
ऐसा लगता है कि रात रोये हुए हो तुम ,
कहीं तो गुमसुम हो ,खोये हुए हो तुम कहीं ,
आँखें में नमी हैं तुम्हारे ,होटों पर हंसीं हैं ,
कुछ है जो तुम्हें तुम्हीं से कर रहा है रुसवां,
कुछ तो है जो तुम्हें कर रहा है बहुत परेशां ,
धन्यवाद
सुनीता श्रीवास्तवा
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